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मंगलवार, 30 जुलाई 2013

k k kochikoshi keral

आलेख-''मानव अधिकार और स्त्री का महत्व
           
            जन्म लेने वाले सब आदमियों को जीने का स्वतन्त्र अधिकार है। पड़ौसी का सम्मान करना भी उसका फर्ज बनता है। जो पड़ौसी के साथ क्रूरता दिखाता है वह मानव नहीं केवल पिशाच है। र्इसा मसीह ने कहा है कि पड़ौसी से प्रेम के साथ वर्ताब करना मानवता का महत्व है। दीन दलित व असहाय लोगों की सहायता करना हरेक मानव का कर्तव्य है एवं यही सच्चा धर्म भी  है। ऐसा कहा जाता है कि स्त्री अशक्त है इसलिए अशक्त नारी से आदर भाव प्रकट करना हमारा आदर्श होना चाहिए।
            भारत के इतिहास में सीता का महत्व सौ मुँह से सराहनीय है। स्वामी विवेकानंद जी ने भारतीय स्त्री का महत्व बताया है। पशिचम में स्त्री का स्थान केवल एक पत्नी के  तौर पर है तो पूरब में स्त्री का महत्व माता के समान है। माता की वंदना करना सबसे अनिवार्य है। माता जन्मदाता है। भारत को भी हम माता कहकर संबोधित करते है। यदि भारत माता  पूज्य है तो हरेक स्त्री भी पूज्य है। हरेक स्त्री हमारी बहन है। भार्इ-बहन का सम्मान होना परम आवश्यक है। आजकल भारत के कुछ प्रदेशों में स्त्री के साथ बहुत अत्याचार हो रहा है। बस में यात्रा करते समय,रेल में यात्रा करते समय या केवल घरों में रहनेवाली सित्रयों के साथ अत्याचार किया जा रहा है। यह केवल पिशाच का स्वभाव होता है।
            हे मानव तुम करुणामय र्इश्वर की संतान हो। तुम करुणा दिखाओ और मानवता दिखाओ। नारी का हर रूप में सम्मान करो चाहे वो माँ हो या बहन या बेटी हो। नारी हर रूप में पूजयनीय है, वह सम्मान की अधिकारी है। नारी को नीचा दिखाकर मनुष्य अपने दानव होने का प्रमाण देता है। वेद-पुराणों एवं धार्मिक ग्रंथों में भी माता को सर्वश्रेष्ठ माना गया है तथा बहुत ही सम्मान की दृषिट से देखा गया है। हमें भी नारियों का सम्मान करना चाहिए।
                    के.क कोच्चुकोशी
                    तिरूवनन्तपुरम (केरल)

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