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शनिवार, 8 जून 2013

कविता -भोर का गीत....Siyaram ahirwar tikamgarh


कविता - भोर का गीत

कहा गए
भोर के वो मौसमी गीत
जिनको मां
भोर के पहर
उठकर
चाकिया के साथ गाती
और पीसती थी
जिनको सुनकर बच्चा
बिना थपकी लगाए ही
सो जाता था
गहरी नीद मे
          सियाराम अहिरवार टीकमगढ म. प्र. siyaram ahirwar tikamgarh

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