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शनिवार, 8 जून 2013

कविता- बेटिया....ramgopal raikwar kawal tikamgarh

कविता- बेटिया....रामगोपाल रैकवार कंवल टीकमगढ म. प्र.
बेटिया  ये बेटिया फूल  सी  ये बेटिया
मैत्रेयी  सावित्री    गार्गी   ये  पूषा है।
मेरीकाम  कल्पना  सायना  ये उषा है।
भारतीय  आभा की  मूल सी ये बेटिया।
ये  लक्ष्मी ये  दुर्गा चेनम्मा  ये अवनितया।
वीरता औ साहस की है अमिट ये पकितया।
शत्रु वक्ष  मे चुभी थी शूल सी ये बेटिया।
हिमवत  चूमा  है  सागर  को लांधा है।
समता  का अधिकार किन्तु जब मांगा है।
लगती  है क्यो हमको भूल सी ये बेटिया।
मर्यादा   संस्कृति   धर्म   और  सभ्यता।
नेह पे्रम  ममतामयी  भारत  की  भव्यता।
रोके है  धर धर मे  कूल  सी ये बेटिया।
गर्भनाश  क्यो  फिर होती है क्यो उपेक्षा।
भावी   जग जननी  की कब करोगे पे्रक्षा।
कब तिलक बनेगी फिर धूल सी ये बेटिया।
                        रामगोपाल रैकवार कंवल टीकमगढ म. प्र.

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