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शनिवार, 8 जून 2013

गजल.......umashankar mishr tanha tikamgarh

गजल....उमाशंकर मिश्र तन्हा टीकमगढ म. प्र.
हादसे     रोज  होते   रहे,
चैन से फिर भी सोते रहे।
और क्या चाहती जिन्दगी,
तुझको  ताउम्र   ढोते रहे।
खुद के काटे निकाले नही,
पांव  गैरो  के  धोते   रहे।
आओ हंस ले धडी दो धडी,
जिन्दगी भर तो रोते रहे।
प्यार के  फूल  कैसे खिले,
बीज नफरत के बोते रहे।
छोडकर सब यही चल दिये,
ख्वाब कितने   संजोते रहे।
चुन के शब्दो के मोती तन्हा,
हम गजल मे पिरोते रहे।।
         उमाशंकर मिश्र तन्हा टीकमगढ म.प्र.

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