योगदान देने वाला व्यक्ति

सोमवार, 10 जून 2013

गजल - रहनुमा कोइ ना था- Haji anwar tikamgarh


गजल - रहनुमा कोइ ना था- हाजी अनवर टीकमगढ म. प्र.

कैसी   मिली   सौगात   बहारो   से   पूछिए
गम   की    हुइ  बरसात  नजारो   से पूछिए।
आया था उनकी बज्म मे दिल के सुकून को
ले आया   दिल मे   आग   शरारो से पूछिए।
अब   दिन का    चैन रातो   की नीदे हराम हे
कैसी     कटी है   रात   सितारो से    पूछिए।
कश्ती फसी भंवर मे अव किस्सा तमाम है
लहरे    भी है  उदास  किनारो    से   पूछिए।
जर्रो    का    आफताब     बनाया    रसूल ने
सच्चाइ    तो    बिलाल   से यारो से पूछिए।
धुधला गया है अक्स अब उनके ख्याल का
इस    टूटे    आइने    के    शरारो से पूछिए।
बेताब    हू बस    एक तसल्ली को मै अनवर
इस दिल की धडकनो के इशारो से पूछिए।।
                    हाजी अनवर टीकमगढ म. प्र.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें