हम आपसे मिलके आलीशान हो गए
एक गुल से भी बढके गुलिस्तान हो गए।
समय का चक्र धूमा जीवन का इस कदर
हम आप से बिछुड के परेशान हो गए।
लुटने लगी लाज इक नारी की सभी मे
स्वयं श्याम आकर के परिधान हो गए।
मंहगाइ भ्रष्टाचारी छाइ है इस तरह
इमान को छोडके बेइमान हो गए।
जन लोकपाल बिल को तभी पास कराने
अनशन पे बैठे अन्ना भी महान हो गए।
छाए विमल भारती हर कौने देश के
सारे जहा के यहा ही इन्सान हो गए।
हम तो है सिर्फ आपके किसी गैर के नही
पूरन तुम्हे देख वो मेहरबान हो गए।।
पूरन चन्द्र गुप्ता पूरन टीकमगढ म. प्र.
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