कविता- जय जय तम्बाखू रानी......परमेश्वरी दास तिवारी टीकमगढ म. प्र.
जय जय तम्बाखू रानी,तुमको निशदिन सेवत भारत के प्राणी।
सुख सम्पतित की हरता दुख करता,
रानी तुम दुख करता।
जो कोइ तुमको खाता,
बिना मौत मर जाता।
तुमको जो कोइ खावे,
ब्लेडप्रेसर बढ जावे सबसे रोग भंयकर,
मुख कैसंर हो जावे।
जय जय जय तम्बाखू रानी,
लत लग गइ तुम्हारी जीखौ,
उ उवरत नइया रानी,
थूक थूक के हारत तौ कडत नैया,
जैसे किल्ली चिपकत रानी
ढोर बछेरु कौ खां
मरवे पे मरतन लौ नइया
छोडत वा उ खां
जैसी जा तम्बाखू है किल्ली कैसी,
मरवे तक नइ छोडत जैइ है वैसी।
जय जय जय तम्बाखू रानी,
अपनौ भलो विचारो भइया
छोड दो इखौ,
नफरत सबइ करत है छोड दो इखौ,
भांग चरस की संगिनी,
गांजे की पटरानी,
पिण्ड हमारे छोडा,
बिनती ऐइ हमारी,
हा हा करत तिवारी
जय जय जय तम्बाखू रानी।।
..........परमेश्वरी दास तिवारी टीकमगढ म. प्र.
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