योगदान देने वाला व्यक्ति

मंगलवार, 15 अक्तूबर 2013

कविता-'बेटी बचाओ अभियान-लक्ष्मी प्रसाद गुप्त 'किंकर ,र्इशानगर,छतरपुर (म.प्र.)

कविता-'बेटी बचाओ अभियान
पावनतम यह पहल बेटियों को सम्मान दिया है।
मानवीय संस्कृति का ही पावन सम्मान किया है।।
बेटी आज बचेगी मानव संस्कृति आज बचेगी।
बेटी ही आने वाले कल की तकदीर रचेगी।।

मानव के रक्षण का यह पावन शोध किया है।
मातृशकित के गौरव का जन-जन को बोध दिया है।
मानव को दानव दहेज ने भारी क्षति पहुँचार्इ।
बेचारी माताओं की भी इसने कोख चबार्इ।।
माताओं को भी हत्यारिन बनने से नहीं रोका।
खाया है मानव समाज ने भारी भरकम धोखा।।
ऐसी संकट की घंिड़यों में आज आप जो आए।
आज 'बचाओ बेटी यह अभियान साथ में लाए।।

ऐसे बेटी के मामा का अभिनंदन करता हूँ।
ऐसे पावन अभिमानों का मैं वंदन करता हूँ।।
शिशुओं के प्यारे मामा इस पार भी ध्यान जरूरी।
गौमाता के बिना नौनिहालों की राह अधूरी।।
पूर्व प्रशासन ने जब से गोचर पटटों में बाँटी।
प्राणों से प्यारे गोधन पर गाँव चलाते लाठी।ं
अब किसान ही बीन-बीन गौधन जंगल हँकवाते।
जंगल से कसार्इ गोधन बूचड़खाने पहँुचाते।।

गौधन से ही गाँव और गाँवों से यह भारत है।
गाँव-गाँव चल कर देखो पूरा प्रदेश आरत है।।
अपने गाँव क्षेत्र की भी तस्वीर बताने आया।
गाँव-गाँव गौचर दो गोधन रोको विनती लाया।।
गोमाता के अमिय दुग्ध की अगर क्रांति लाओगे।
जगभर में प्रदेश के मामा पहिचाने जाओगे।।
शिशुओं का सम्मान और संस्कृति का मान बढ़ेगा।
बेटी की रक्षा के पथ का भी सम्मान बढ़ेगा।।
-लक्ष्मी प्रसाद गुप्त 'किंकर    र्इशानगर,छतरपुर (म.प्र.)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें