-सी.एल.जैन 'सरल âदय
क्विता-हिन्दी के प्रति
जय हिन्दी,हिन्दुस्तान,
गाथा तेरी महान।
भारतीय जीवन में,
तेरा ही यशोगान।
तू है जब तलक,
असितत्व यदि मेरा है।
जिहवा के कण-कण पर,
रटूँगा नाम तेरा है।
क्योंकि हे ! माँ,
तू सचमुच ही माता है।
तेरे ही कारण,
पुत्र तेरा ज्ञाता है।
तू मेरी नहीं मात्र,
जग की तू त्राता है।
शत,शत शत वन्दन,
शत शत तुझे प्रणाम।
जय हिन्दी,हिन्दुस्तान,
गाथा तेरी महान।
तेरा âदय विशाल,
तेरा हर छंद ताल!
तू है कितनी खुशहाल,
तेरी हर डाल-डाल।
बसंत की बहार है
ैवर्षा की फुहार है।
âदय का प्यार है,
जीवन का तार है।
प्रात: स्मरणी,
दीनों की करुणी।
कीर्ति की वरुणी,
ज्ञान की तरुणी।
गंगा की धारा है,
हर -हर उच्चारा है।
संस्कृति को सँवारा है,
जननि को उबारा है।
तेरी जगती पर,
गूँजती रहे तान।
जय हिन्दी,हिन्दुस्तान,
गाथा तेरी महान।।
-सी.एल.जैन 'सरल âदय
स्वागत स्वतंत्रते
स्वागत स्वतंत्रते,स्वागत स्वतंत्रते
पन्द्रह अगस्त का दिव्य प्रात,
नूतन,ज्योतिर्मय विहँस उठा।
भूकण कण में उल्लास भरा,
जननी का आँचल फहर उठा।
उन्मुक्त जननि है मुक्त गगन,
पावन में अलमस्ती आर्इ।
जन कोटि-कोटि के जीवन में,
फिर गूँज उठी नव शहनार्इ।
स्वागत स्वतंत्रते,स्वागत स्वतंत्रते।
श्यामल बादल अब घुमड़-घुमड़,
नभ में हो उन्नत दौड़ पड़े।
बसुधा के कोने-कोने में,
स्वातंत्रय गीत स्वर होड़ पडे।
बिजली भी चमक-दमक कहती,
अब नर्इ ज्योति पार्इ हमने।
सदियों के परतन्त्र देश से,
किया कूच अब तो तम ने।
स्वागत स्वतंत्रते,स्वागत स्वतंत्रते
वह लाल किला दिल्ली वाला,
जिसका इतिहास निराला है।
जो सदियों तक यौं खड़ा रहा,
कर सका न कोर्इ काला है।
वह आज तिरंगे को लेकर,
जो फहर रहा,नभ मेें ऊपर।
कह रहा जगत से इतरा कर,
है कोर्इ श्रेष्ठ? हमसे भूपर।
स्वागत स्वतंत्रते,स्वागत स्वतंत्रते
यह स्वतंत्रता की बेला है,
गाओ जितना गा सकते हो,
अब बढ़ो ये देश हमारा है,
जितना चाहो बढ़ सकते हो।
हे!जननि तुम्हें शत-शत प्रणाम,
तू कोटि सुपुत्रों वाली है।
तेरे हर कण-कण पर जिनकी,
रहती हर क्षण रखवाली है।
उन वीर शहीदों के बलिदानों का
स्वागत स्वतंत्रते,स्वागत स्वतंत्रते।
-सी.एल.जैन 'सरल âदय
क्विता-हिन्दी के प्रति
जय हिन्दी,हिन्दुस्तान,
गाथा तेरी महान।
भारतीय जीवन में,
तेरा ही यशोगान।
तू है जब तलक,
असितत्व यदि मेरा है।
जिहवा के कण-कण पर,
रटूँगा नाम तेरा है।
क्योंकि हे ! माँ,
तू सचमुच ही माता है।
तेरे ही कारण,
पुत्र तेरा ज्ञाता है।
तू मेरी नहीं मात्र,
जग की तू त्राता है।
शत,शत शत वन्दन,
शत शत तुझे प्रणाम।
जय हिन्दी,हिन्दुस्तान,
गाथा तेरी महान।
तेरा âदय विशाल,
तेरा हर छंद ताल!
तू है कितनी खुशहाल,
तेरी हर डाल-डाल।
बसंत की बहार है
ैवर्षा की फुहार है।
âदय का प्यार है,
जीवन का तार है।
प्रात: स्मरणी,
दीनों की करुणी।
कीर्ति की वरुणी,
ज्ञान की तरुणी।
गंगा की धारा है,
हर -हर उच्चारा है।
संस्कृति को सँवारा है,
जननि को उबारा है।
तेरी जगती पर,
गूँजती रहे तान।
जय हिन्दी,हिन्दुस्तान,
गाथा तेरी महान।।
-सी.एल.जैन 'सरल âदय
स्वागत स्वतंत्रते
स्वागत स्वतंत्रते,स्वागत स्वतंत्रते
पन्द्रह अगस्त का दिव्य प्रात,
नूतन,ज्योतिर्मय विहँस उठा।
भूकण कण में उल्लास भरा,
जननी का आँचल फहर उठा।
उन्मुक्त जननि है मुक्त गगन,
पावन में अलमस्ती आर्इ।
जन कोटि-कोटि के जीवन में,
फिर गूँज उठी नव शहनार्इ।
स्वागत स्वतंत्रते,स्वागत स्वतंत्रते।
श्यामल बादल अब घुमड़-घुमड़,
नभ में हो उन्नत दौड़ पड़े।
बसुधा के कोने-कोने में,
स्वातंत्रय गीत स्वर होड़ पडे।
बिजली भी चमक-दमक कहती,
अब नर्इ ज्योति पार्इ हमने।
सदियों के परतन्त्र देश से,
किया कूच अब तो तम ने।
स्वागत स्वतंत्रते,स्वागत स्वतंत्रते
वह लाल किला दिल्ली वाला,
जिसका इतिहास निराला है।
जो सदियों तक यौं खड़ा रहा,
कर सका न कोर्इ काला है।
वह आज तिरंगे को लेकर,
जो फहर रहा,नभ मेें ऊपर।
कह रहा जगत से इतरा कर,
है कोर्इ श्रेष्ठ? हमसे भूपर।
स्वागत स्वतंत्रते,स्वागत स्वतंत्रते
यह स्वतंत्रता की बेला है,
गाओ जितना गा सकते हो,
अब बढ़ो ये देश हमारा है,
जितना चाहो बढ़ सकते हो।
हे!जननि तुम्हें शत-शत प्रणाम,
तू कोटि सुपुत्रों वाली है।
तेरे हर कण-कण पर जिनकी,
रहती हर क्षण रखवाली है।
उन वीर शहीदों के बलिदानों का
स्वागत स्वतंत्रते,स्वागत स्वतंत्रते।
-सी.एल.जैन 'सरल âदय
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