योगदान देने वाला व्यक्ति

गुरुवार, 29 अगस्त 2013

आपके पत्र-

आपके पत्रआपके पत्र
आप का 15.02.12 का पत्र एवं आपकी पत्रिका 'आकांक्षा पत्रिका का 'बुन्देली विशेषांक भी प्राप्त हुआ। यह विशेषांक बुन्देली भाषा का प्रतिनिधित्व करता है। कुल मिलाकर यह अंक अच्छा बन पड़ा है। आपको इसके लिए बहुत-बहुत बधार्इ।
                -प्रो.त्रिभुवननाथ शुक्ल-निदेशक-साहित्य अकादमी
                    म.प्र. संस्कृति परिषद भोपाल (म.प्र.)

''आकांक्षा का -7 'राजभाषा हिन्दी विशेषांक देखा। सम्पादकीय से पता चला कि विगत महीनों में आपके हार्ट की बार्इ पास सर्जरी हुर्इ यह जानकर अच्छा लगा कि अब आप स्वस्थय हैं। मेरी कामना है कि ख्ुदा आपको और बेहतर सेहत अता फरमाए और आप इसी तरह एक लम्बे समय तक साहित्य की सेवा करते रहें। प्रस्तुत अंक विविधता पूर्ण हैं। सभी रचनाएँ स्तरीय व पठनीय हैं। श्री गाफिल स्वामी की पंकितयाँ 'जीते जी माँ-बाप को नहीं पिलाया नीर,मर जाने के बाद में हलुवा,,पूड़ी, खीर हकीकत बयान करती हैं। श्री राना लिधौरी (हाइकु-हिन्दी महान),हाजी अनवार साहब(आजिजी का जज्बा हो जिसमें बस वही इंसान है),मनमोहन पांडे 'नादां(करूं क्या तारीफ तेरी अरे ए मज़हबी आशिक,कि हर सिम्त मसिजदो बुत खाना बना डाला),चाँद मो. आखिर साहब (मंजि़ल का पता है न साहिल का ठिकाना,गुमशुदा से आजकल इंसान हो गए) प. मुकेश चतुर्वेदी'समीर(खुद तमाशा हे अब तमाशार्इ,इश्क में हाल ये बना बैठे) तथा सुश्री कामना तिवारी (तन भी घायल मन भी घायल किन्तु हार न मानती औरत) की रचनाएँ भावनापूर्ण और मर्मस्पर्शी है । अच्छे संकलन के लिए साधुबाद।
       - महबूब अहमद फारूकी 'महबूब,(प्राचार्य), बिजाबर,(छतरपुर)
सचमुच 'आकांक्षा पत्रिका का जवाब नहीं है। वह लाजवाब और बेमिशाल है इसमें जात-पात,धर्म-कर्म,अमीर गरीब और गाँव-शहर का कोर्इ भेदभाव नहीं है। आधार है तो सिर्फ प्रेम-वयवहार और भार्इ चारे की भावना को बनाए रखना। मेरा राना जी का सन 2001 में एक कम्प्यूटर गुरू के रूप में परिचय हुआ मै। उनका शिष्य था लेकिन कब राना जी ने मेरे रचना लेखन की पहचान करके मुझे कवि बना दिया मुझे पता ही नहीं चला। अपने आकांक्षा पत्रिका के माध्यम से मेरी पहली रचना प्रकाशित की । आज मेरी रचनाएँ अनेक पत्र-पत्रिकाओं में छप रही है यह सब आपकी ही देन है। प्यार,मोहब्बत और भार्इचारा कोर्इ इनसे सीखे।
    -देवेन्द्र कुमार अहिरवार 'भारत ग्राम दिगौड़ा जिला टीकमगढ़़(म.प्र.)
'आकांक्षा के लिए कुछ ग़ज़लें संलग्न है। आशा स्थान मिलेगा। आपकी रचनाएँ कर्इ पत्रिकाओं में पढ़ने को मिलती है मुझे पसंद आती है। आपकी रचनाओं में मुझे सच्चार्इ व सादगी नज़र आती है। जो ग़ज़लों को और भी निखार देती है।             -साहिल, राजकोट (राजस्थान)
 'आकांक्षा के बारे में 'प्राची पत्रिका में पढ़ा, मैं आपकी पत्रिका का नियमित पाठक बनना चाहता हूँ कृपया इसकी सदस्यता शुल्क बताने का कष्ट करें।    -बंसीलाल अग्रवाल,सूरत (गुजरात)
''राष्ट्रभाषा.मा.पत्रिका (वर्धा) अंक-सितम्बर 2012 (प्र.संपादक-प्रो.अन्नतराम त्रिपाठी) में प्रकाशित समीक्षाप्रतिक्रिया के कुछ प्रमुख अंश-
'आकांक्षा पत्रिका अंक -7 (2012) में द्वय आलेख 'हिन्दी की व्यापकता,सरलता और बोध गम्यता से इसका महत्व ही अलग है एवं 'हिन्दुस्तान में हिन्दी उपेक्षित क्यों? आलेख-आर.एस.शर्मा का पठनीय है।
            -प्रो.संपादक-प्रो.अनंतराम त्रिपाठी,वर्धा,(महाराष्ट्र)
'जर्जर कश्ती मा.पत्रिका (अलीगढ़ उ.प्र.)अंक-अक्टूवर 2012 (पूर्णांक-320) 
(प्र.संपादक-ज्ञानेन्द्र साज) 29 वर्षों से निरंतर प्रकाशित मासिक पत्रिका,(अलीगढ़,उ.प्र.) में प्रकाशित समीक्षाप्रतिक्रिया के कुछ प्रमुख अंश-
टीकमगढ़ जिले मे प्रकाशित एकमात्र वार्षिक पत्रिका ''आकांक्षा का सम्पादन श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी जैसे चर्चित रचनाकार द्वारा किया जाना सुखद लगा। पूरी पुस्तक में एक कार्य अच्छा हुआ है कि स्थानीय प्रतिभाओं को विशेष रूप से स्थान देकर प्रोसाहित किया गया हैं। पत्रिका के अंदर 15 पृष्ठों का विशेष परिशिष्ट श्री देवेन्द्र कुमार मिश्रा की कविताओं को समर्पित हैं। जिससे उनकी प्रतिभा का दर्शन भी पाठकों को होता है। मेहनत से तैयार किये गये इस अंक के लिए बधार्इ।      -चंद्र कुमार सक्सैना,उ.प्र.
'हम सब साथ-साथ द्वैमा.पत्रिका (दिल्ली,उ.प्र.)
        अंक-सितम्बर-दिसम्बर 2012 (संयुक्तांक-1-2)

(प्र.संपादक-शशि श्रीवास्तव) 11 वर्षो से निरंतर प्रकाशित मासिक
पत्रिका,(दिल्ली,उ.प्र.) में प्रकाशित समीक्षाप्रतिक्रिया के कुछ प्रमुख अंश-

यह एक अव्यावसायिक साहितियक पत्रिका है। समय-समय पर इसके विभिन्न विषयों पर विशेषांक भी प्रकाशित होते रहते हैं। हाल ही में इसका सातवाँ अंक प्रकाशित हुआ है।जो कि राजभाषा हिन्दी पर केनिद्रत है। प्रस्तुत अंक में युवा साहित्यकार व 'हम सब साथ-साथ के आजीवन सदस्य श्री देवेन्द्र कुमार मिश्रा पर विशेष परिशिष्ट भी है। लघु रूप में ही सही संपादकीय प्रयास सराहनीय है।
                    -हम सब साथ-साथ डेस्क,दिल्ली
मैं आपकी पत्रिका 'आकांक्षा का सदस्य बनना चाहता हूँ। कृपया इसकी सदस्यता शुल्क बताने का कष्ट करें। यदि नमूना प्रति भेज सकें तो कृपा होगी।
                -विक्की नरूला,खाखन,यमुनानगर,(हरियाणा)
''क्षणदा त्रै. पत्रिका (सुपौल) अंक जनवरी-जुलार्इ 2011
 (संपादक-सुबोध कुमार सुधाकर) में प्रकाशित समीक्षाप्रतिक्रिया-

            राजीव नामदेव 'राना लिधौरी 'क्षणदा से जुड़े एक वरिष्ठ साहित्यकार हंै,जिनके द्वारा प्रकाशित पत्रिका बहुत ही ऊँचार्इ पर पहुँच गर्इ है। पूर्व के  प्राय: सभी अंकों को मैंने देखा है। आलोच्य अंक-5 को भी भली भाँति देखा-परखा है। पत्रिका के मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित चित्र टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से 6कि.मी.दूर कुण्डेश्वर में जमड़ार नदी तथा उषा कुण्ड पर सिथत सिद्ध शिव मंदिर का है जो अति मनभावन तथा पाठकों की धार्मिक भावनाओं को उद्वेलित कर आंचलिक संस्कृति को उजागार करती हंै।
            म.प्र.लेखक संघ के तत्वावधान में पंचांग के अनुसार विभिन्न गोषिठयाँ आयोजित होती रहती हैं। सिलसिलेवार ये गोषिठयाँ टीकमगढ़ की साहितियक,सांस्कृति एवं सामाजिक गतिविधियों को संचालित कर स्थापित तथा नवोदितों को प्रेरित भी करती हंै। इसके लिए वरिष्ठ सम्पादक श्री राना लिधौरी जी धन्यवाद के पात्र हैं।
            इस अंक में ग़ज़ल,गीत,क़त़ा, मुक्तक,हाइकु,दोहे, व्यंग्य, आलेख, पुस्तक समीक्षाएँ तथा विभिन्न साहितियक सूचनाएँ तो प्रशंसनीय हैं ही,अत्यधिक रुचिकर भी। पत्रिका में बुंदेलखण्डी माटी की सुरभित सुगंध भी सम्पूर्ण पत्रिका को सराबोर करती प्रतीत होती है। इस माने में श्री राना लिधौरी जी की प्रतिबद्धता सम्पादन में स्पष्ट दृषिटगोचर होती है। कतिपय बाल रचनाएँ भी पत्रिका में चार चाँद लगा देती हैं। आशा है,भविष्य में 'आकांक्षा बहुत सारे साहित्यकारों की आकांक्षाएँ परिपूरित करेगी।।
                    -सुबोध कुमार सुधाकर
            संपादक-'क्षणदा त्रैमासिक पत्रिका,सुपौल (बिहार)

''हम सब साथ साथ द्वै.मा.पत्रिका (दिल्ली) अंक जुलार्इ-अगस्त 2011 (संपादक-श्रीमती शशि श्रीवास्तव) में प्रकाशित समीक्षाप्रतिक्रिया के प्रमुख अंश-
        'आकांक्षा का छठवाँ अंक 'बुंदेली विशेषांक के रूप में सामने आया है। म.प्र. लेखक संघ की इस पत्रिका में देश के विभिन्न क्षेत्र के रचनाकारों की बुंदेली व हिंदी मे लिखी कविताएँ,गीत,दोहे और आलेख आदि संग्रहीत है। बुंदेली में ढेर सारी सामग्री व ढेर सारे बुंदेली रचनाकारों का एक मंच पर एकत्रित करने का संपादीय प्रयास सराहनीय है। पत्रिका में पुस्तक समीक्षा,पत्रिकाओं की जानकारी व कुछेक साहितियक गतिविधियाँ भी है।
                   - श्रीमती शशि श्रीवास्तव,
        संपादक-''हम सब साथ साथ द्वै.मा.पत्रिका (दिल्ली)

2 टिप्‍पणियां:

  1. पुस्तकों की समीक्षा पढने के लिए क्लिक करें।
    www.pdfbookbox.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  2. PDF किताबें निशुल्क पाने के लिए हमारे वाटस एप ग्रुप से जुड़ें।
    Send msg- join PDF- 9509583944

    जवाब देंहटाएं