गजल- डा. रुखसाना सिद्धीकी टीकमगढ म. प्र.
मोहब्बत ऐसा जज्बा है जिसे बंदिश नही भाती,मोहब्बत करने वाले की दीवानी नही जाती।
जो गुरबत मै बकार अपना हमेशा रखते है कायम
दुआ उन मुफलिसो की हरगिज बेमानी नही जाती।
गरीबो के लहू को चूसकर जो धर बनाते है,
सजावट लाख कर ले उस धर की वीरानी नही जाती।
इबादत और तिलावट से जो धर खाली रहा उसकी
बरकत उड तो जाती है परेशानी नही जाती।
हवादिस के थपेडे ने किया कुछ इस तरह जख्मी,
कि अपनी सूरते बीमार पहचानी नही जाती।।
डा. रुखसाना सिद्धीकी टीकमगढ म. प्र.
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