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रविवार, 9 जून 2013

लधुकथा- मुआवजा........Mo. Arif ujjain


                                                लधुकथा-मुआवजा

गांव से नियमित रुप से गुजरने वाली बस के सामने उडती हुइ मुर्गी आइ और कुचलकर मर गइ। गांव वालो ने तुरंत बस को रुकवाया । ड्राइवर को बस से नीचे उतारा खूब पिटाइ की । स्त्री पुरुष अपने अपने धरो से निकलकर भीड मे इजाफा करने लगे। काफी हंगामा हो गया । एक समझदार व्यकित ने बीच बचाव किया और सबको शांत किया। बात मुर्गी के मुआवजे की आइ। मुर्गी मालिक ने बडी राशि की मांग की । अंत मे छोटी राशि पर समझौता हुआ। मुर्गी मालिक को मुआवजा मिल गया।
          कुछ महीनो बाद उसी बस के सामने एक मोर आ गया। बस मोर का कचूमर बनाती हुइ निकल गइ। इस बार कोइ भी गाव का स्त्री पुरुष बाहर नही आया। एक कुत्ते की नजर मृत मोर पर पडी। वह उसे मुह मे दबाकर एकांत मे ले गया और बडे चाव से खाने लगा। किसको फिक्र थी कि मोर राष्ट्रीय पक्षी है।
                                                                                            ...................मोहम्मद आरिफ उज्जैन म. प्र.

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