टीकमगढ़ में प्रथम आनलाइन कवि सम्मेलन हुआ- Date 3-5-2020 Tikamgarh
(म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राना लिधौरी ने किया होस्ट़)
टीकमगढ़ जिले के साहित्य में प्रथम आनलाइन कवि सम्मेलन करके नया इतिहास रचा
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की बेनर तले टीकमगढ़ जिले में प्रथम आन लाइन कवि सम्मेलन का आयोजित किया गया जिसमें अध्यक्षता कानपुर के कवि श्री एस.के मिश्रा ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में सागर के वरिष्ठ कवि बृंदावन राय ‘सरल ने की
सर्वप्रथम शुरूआत करते हुए टीकमगढ़ से आकांक्षा नामदेव ने माँ सरस्वती की वंदना पढ़ी-
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ, अज्ञानता से हमें तार दे माँ।
बड़ा मलहरा से कवि मनोज तिवारी ने पढ़ा- सात समंदर तक गूँजेगा अपना ये याराना।
तू मुझको भूल ना जाना,ओ साथी मुझको भूल न जाना।
टीकमगढ़ के सियाराम अहिरवार ने बुन्देली कविता पढ़ी-
लाॅक डाउन में रय गए मनमसोर कें, मरे जा रहय सोच सोच कें।
होस्ट रहे टीकमगढ़ के म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल सुनायी-
न गिरजा न मंदिर न मस्जिद मिलेगा ,न ढूँढों उसे दिल के अंदर मिलेगा।।
तुम एक दरिया जा बहकर तो देखों, तुम्हें भी किसी दिन समंदर मिलेगा ।।
टीकमगढ़ के शायर चाँद मोहम्मद ‘आखिर’ ग़ज़ल पढ़ी-
दूर अपने हो गए ये फासला कैसे हुआ। भाईयों को भाईयों से अब गिला कैसा हुआ
बड़ा मलहरा से कवि सत्यपाल यादव ने पढ़ा- तुम तो पास आना नहीं, वक्त ठहरा है अभी।
तुम अकेले ही सही, हम अकेले ही सही।।
संचालन कर रहे टीकमगढ़ के कवि शायर उमाशंकर मिश्रा ने रचना पढ़ी-
हो अपनों से चाहत तो घर में ही रहना। बचाना है भारत तो घर में ही रहना।।
सागर से कवि बृंदावन राय ‘सरल’ ने पढ़ा- मुश्किलों में मुस्कराना चाहिए, ये हूनर सबको आना चाहिए।
टीकमगढ़ के गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत सुनाया- आदमी हो आदमी रहो, हर प्राणी से प्रेम करो।
वाणी मधुर रखों, हर बुराई से दूर रहो।।
जबलपुर से कवि रविन्द्र यादव ने पढ़ा- भैया कैसा जमानों आ रऔ, कोउ समज नइ पा रओ।
भीतर से तो कछू और है, बारह से कछू दिखा रओ।।
झाँसी से कवि राजेश तिवारी ने पढ़ा- जिनकी खातिर कर्म निदित तू हमेशा कर रहा।
कनक सी काया कलश में पाप क्यों तू भर रहा।।
देरी से श्याम मोहन नामदेव ने पढ़ा- आज हमारे भाई बंधुवर है ये आपदा आई।
हाथ जोड़कर करूँ निवेदन घर में रहिए भाई।।
कनेरा से राजेन्द्र यादव ‘‘कुँवर’’ ने कविता पढ़ी- न तिमिर तुमको आ घेरे, जुल्म का न पाप का,
हो प्रकाशित जब में सारा वो प्रकाश हो आपका।।
इनके अलावा विजय मेहरा, पूरन चन्द्र गुप्ता, एस.के मिश्रा कानपुर आदि ने भी अपनी कविताएँ सुनायीं। कुछ कवि बंधु तकनीकी समस्या के कारण नहीं जुड पाये थे लेकिन फिर भी पन्द्रह कवियों ने आन लाइन रचना पाठ सफलता पूर्वक किया। आन लाइन कवि सम्मेलन का सफल संचालन उमाशंकर मिश्र ने किया तथा तकनीकी सहयोग चाँद मोहम्मद ‘आखिर’ ने दिया एवं सभी आन लाइन कवियों का अभार होस्ट एवं जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना
लिधौरी ने माना।
- रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
जिलाध्यक्ष-म.प्र. लेखक संघ,टीकमगढ़
टीकमगढ़ (म.प्र.) मोबाइल-9893520965
E-Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
tikamgarh kavi sammelan rana lidhori
(म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राना लिधौरी ने किया होस्ट़)
टीकमगढ़ जिले के साहित्य में प्रथम आनलाइन कवि सम्मेलन करके नया इतिहास रचा
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की बेनर तले टीकमगढ़ जिले में प्रथम आन लाइन कवि सम्मेलन का आयोजित किया गया जिसमें अध्यक्षता कानपुर के कवि श्री एस.के मिश्रा ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में सागर के वरिष्ठ कवि बृंदावन राय ‘सरल ने की
सर्वप्रथम शुरूआत करते हुए टीकमगढ़ से आकांक्षा नामदेव ने माँ सरस्वती की वंदना पढ़ी-
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ, अज्ञानता से हमें तार दे माँ।
बड़ा मलहरा से कवि मनोज तिवारी ने पढ़ा- सात समंदर तक गूँजेगा अपना ये याराना।
तू मुझको भूल ना जाना,ओ साथी मुझको भूल न जाना।
टीकमगढ़ के सियाराम अहिरवार ने बुन्देली कविता पढ़ी-
लाॅक डाउन में रय गए मनमसोर कें, मरे जा रहय सोच सोच कें।
होस्ट रहे टीकमगढ़ के म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल सुनायी-
न गिरजा न मंदिर न मस्जिद मिलेगा ,न ढूँढों उसे दिल के अंदर मिलेगा।।
तुम एक दरिया जा बहकर तो देखों, तुम्हें भी किसी दिन समंदर मिलेगा ।।
टीकमगढ़ के शायर चाँद मोहम्मद ‘आखिर’ ग़ज़ल पढ़ी-
दूर अपने हो गए ये फासला कैसे हुआ। भाईयों को भाईयों से अब गिला कैसा हुआ
बड़ा मलहरा से कवि सत्यपाल यादव ने पढ़ा- तुम तो पास आना नहीं, वक्त ठहरा है अभी।
तुम अकेले ही सही, हम अकेले ही सही।।
संचालन कर रहे टीकमगढ़ के कवि शायर उमाशंकर मिश्रा ने रचना पढ़ी-
हो अपनों से चाहत तो घर में ही रहना। बचाना है भारत तो घर में ही रहना।।
सागर से कवि बृंदावन राय ‘सरल’ ने पढ़ा- मुश्किलों में मुस्कराना चाहिए, ये हूनर सबको आना चाहिए।
टीकमगढ़ के गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत सुनाया- आदमी हो आदमी रहो, हर प्राणी से प्रेम करो।
वाणी मधुर रखों, हर बुराई से दूर रहो।।
जबलपुर से कवि रविन्द्र यादव ने पढ़ा- भैया कैसा जमानों आ रऔ, कोउ समज नइ पा रओ।
भीतर से तो कछू और है, बारह से कछू दिखा रओ।।
झाँसी से कवि राजेश तिवारी ने पढ़ा- जिनकी खातिर कर्म निदित तू हमेशा कर रहा।
कनक सी काया कलश में पाप क्यों तू भर रहा।।
देरी से श्याम मोहन नामदेव ने पढ़ा- आज हमारे भाई बंधुवर है ये आपदा आई।
हाथ जोड़कर करूँ निवेदन घर में रहिए भाई।।
कनेरा से राजेन्द्र यादव ‘‘कुँवर’’ ने कविता पढ़ी- न तिमिर तुमको आ घेरे, जुल्म का न पाप का,
हो प्रकाशित जब में सारा वो प्रकाश हो आपका।।
इनके अलावा विजय मेहरा, पूरन चन्द्र गुप्ता, एस.के मिश्रा कानपुर आदि ने भी अपनी कविताएँ सुनायीं। कुछ कवि बंधु तकनीकी समस्या के कारण नहीं जुड पाये थे लेकिन फिर भी पन्द्रह कवियों ने आन लाइन रचना पाठ सफलता पूर्वक किया। आन लाइन कवि सम्मेलन का सफल संचालन उमाशंकर मिश्र ने किया तथा तकनीकी सहयोग चाँद मोहम्मद ‘आखिर’ ने दिया एवं सभी आन लाइन कवियों का अभार होस्ट एवं जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना
लिधौरी ने माना।
- रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
जिलाध्यक्ष-म.प्र. लेखक संघ,टीकमगढ़
टीकमगढ़ (म.प्र.) मोबाइल-9893520965
E-Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
tikamgarh kavi sammelan rana lidhori
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें